मधुर शुरुआत हो जब सुबह की , पक्षियो के गीत से शुरुआत हो, जब सुबह की , ईश्वर खुद आकर जगाये , जब नींद से , तो मान लेना शुरुआत हो गयी है , बसंत ऋतु की |
ज्ञान तेरा अनंत है , वीणा जिसकी मधुर है , कृपा हो इसकी जिस पर , वो पूरे ब्रह्मांड मैं सर्व ज्ञानी है , आओ वंदना करे ऐसी मूरत की जो , स्वयं बसंत ऋतु के रूप मैं दर्शन देने आई है |